Karl-Marx

Karl Marx Inspirational Quotes To Motivate You



  इसलिए पूंजीवादी उत्पादन टेक्नोलोजी विकसित करता है , और तरह-तरह की प्रक्रियाओं को सम्पूर्ण समाज में मिला देता है; पर ऐसा वो सिर्फ संपत्ति के मूल स्रोतों – मिटटी और मजदूर को सोख कर कर करता है .
 अगर कोई चीज निश्चित है तो ये कि  मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूँ .
 अनुभव सबसे खुशहाल लोगों की प्रशंशा करता है , वे जिन्होंने सबसे अधिक लोगों को खुश किया .
 अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते .
 इतिहास कुछ भी नहीं करता . उसके पास आपार धन नहीं होता , वो लड़ियाँ नहीं लड़ता . वो तो मनुष्य हैं, वास्तविक , जीवित , जो ये सब करते हैं .
 इतिहास खुद को दोहराता है , पहले एक त्रासदी की तरह , दुसरे एक मज़ाक की तरह  .
 एक भूत यूरोप को सता रहा है – साम्यवाद का भूत .
 कारण हमेशा से अस्तित्व में रहे हैं , लेकिन हमेशा उचित रूप में नहीं .
 कोई भी जो इतिहास की कुछ जानकारी रखता है वो  ये जानता है कि महान सामाजिक  बदलाव बिना महिलाओं के उत्थान के असंभव हैं . सामाजिक प्रगति महिलाओं की सामजिक स्थिति, जिसमे बुरी दिखने वाली महिलाएं भी शामिल हैं ; को देखकर मापी जा सकती है ,
 क्रांतियाँ इतिहास के इंजिन हैं .
 चिकित्सा संदेह तथा बीमारी को भी ठीक करती है .
 जबकि कंजूस मात्र एक पागल पूंजीपति है, पूंजीपति एक तर्कसंगत कंजूस है .
 ज़मींदार , और सभी लोगों की तरह, वहां से काटना पसंद करते हैं जहाँ उन्होंने कभी बोया नहीं .
 ज़रुरत तब तक अंधी होती है जब तक उसे होश न आ जाये . आज़ादी ज़रुरत की चेतना होती है .
 जितना अधिक श्रम का विभाजन और मशीनरी का उपयोग बढ़ता है , उतना ही श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा बढती है , और उतनी ही उनका वेतन कम होता जाता है।
 जीने और लिखने के लिए लेखक को पैसा कमाना चाहिए , लेकिन किसी भी सूरत में उसे पैसा कमाने के लिए जीना और लिखना नहीं चाहिए .
 दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ ; तुम्हारे पास  खोने को कुछ भी नहीं है ,सिवाय अपनी जंजीरों के
 धर्म दीन प्राणियों का विलाप है , बेरहम दुनिया का ह्रदय है और निष्प्राण परिस्थितियों का प्राण है . यह लोगों का अफीम है .
 धर्म मानव मस्तिष्क जो न समझ सके उससे निपटने की नपुंसकता है .
 धर्म लोगों का अफीम है .
 नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है .
 पिछले सभी समाजों का इतिहास वर्ग संघर्ष का इतिहास रहा है.
 पूँजी मजदूर की सेहत या उसके जीवन की लम्बाई के प्रति लापरवाह है ,जब तक की उसके ऊपर समाज का दबाव ना हो .
 पूँजी मृत श्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों  का खून चूस कर जिंदा रहता है , और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है .
 पूंजीवादी समाज में पूँजी स्वतंत्र और व्यक्तिगत है , जबकि जीवित व्यक्ति आश्रित है और उसकी कोई वैयक्तिकता नहीं है .
 बहुत सारी उपयोगी चीजों के उत्पादन का परिणाम बहुत सारे बेकार लोग होते हैं .
 बिना उपयोग की वस्तु हुए किसी चीज की कीमत नहीं हो सकती .
 बिना किसी शक के मशीनों ने समृद्ध आलसियों की संख्या बहुत अधिक बढ़ा दी है .
 मानसिक पीड़ा का एकमात्र मारक शारीरिक पीड़ा है .
 मानसिक श्रम का उत्पाद – विज्ञान – हमेशा अपने मूल्य से कम आँका जाता है , क्योंकि इसे पुनः उत्पादित करने में लगने वाले श्रम-समय का इसके मूल उत्पादन में लगने वाले श्रम-समय से कोई सम्बन्ध नहीं होता .
 यह बिल्कुल असंभव है कि प्रकृति के नियमों से ऊपर उठा जाए . जो ऐतिहासिक परिस्थितियों में बदल सकता है वह महज वो रूप है जिसमे ये नियम खुद को क्रियान्वित करते हैं .
 लेखक इतिहास के किसी आन्दोलन को शायद बहुत अच्छी तरह से बता सकता है, लेकिन निश्चित रूप से वह इसे बना नहीं सकता .
 लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है .
 लोगों की ख़ुशी के लिए पहली आवश्यकता धर्म का अंत है .
 लोगों के विचार उनकी भौतिक स्थिति के सबसे प्रत्यक्ष उद्भव हैं.
 शांति का अर्थ साम्यवाद के विरोध का नहीं होना है .
 शायद ये कहा जा सकता है कि मशीनें विशिष्ट श्रम के विद्रोह को दबाने के लिए पूंजीपतियों द्वारा लगाए गए हथियार हैं .
 शाशक वर्ग के विचार हर युग में सत्तारूढ़ विचार होते हैं, यानि जो वर्ग समाज की भौतिक वस्तुओं पर शाशन करता है , उसी समय में वह उसके बौद्धिक बल पर भी शाशन करता है।
 शाशक  वर्ग को कम्युनिस्ट क्रांति के डर  से कांपने दो . मजदूरों के पास अपनी जंजीरों के आलावा और कुछ भी खोने को नहीं है . उनके पास जीतने को एक दुनिया है . सभी देश के कामगारों एकजुट हो जाओ।
 सभ्यता और आमतौर पे उद्योगों के विकास ने हमेशा से खुद को वनों के विनाश में इतना सक्रीय रखा है कि उसकी तुलना में हर एक चीज जो उनके संरक्षण और उत्पत्ति के लिए की गयी है वह नगण्य है .
 समाज व्यक्तियों से नहीं बना होता है बल्कि खुद को अंतर संबंधों के योग के रूप में दर्शाता है, वो सम्बन्ध जिनके बीच में व्यक्ति खड़ा होता है .
 सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है .
 साम्यवाद के सिद्धांत का एक वाक्य में अभिव्यक्त किया जा सकता है सभी निजी संपत्ति को ख़त्म किया जाये .
 हमें ये नहीं कहना चाहिए कि एक आदमी के एक घंटे की कीमत दूसरे आदमी के एक घंटे के बराबर है , बल्कि ये कहें कि एक घंटे के दौरान एक आदमी उतना ही मूल्यवान है जितना कि एक घंटे के दौरान कोई और आदमी . समय सबकुछ है , इंसान कुछ भी नहीं वह अधिक से अधिक समय का शव है .
 हर किसी से उसकी क्षमता के अनुसार , हर किसी को उसकी ज़रुरत के अनुसार .

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